मंगलवार को मुंबई के उपनगर महालक्ष्मी मे प्रवासी मज़दूरों की भारी भीड़ देखी गई। बताया जा रहा है कि यहां पर उन लोगों का मैडिकल चैकअप किया जा रहा है जो दूसरे राज्यों से यहंा पर काम के सिलसिले मे आए हुए है। इन मज़दूरों का चैकअप होने के बाद ही इनको ट्रेन में सफर करने की अनुमती मिलेगी। वही मौके पर मौजूद एक मज़दूर का कहना है कि वह यहां पर पिछले दो महिनों से फंसा है और अब उसके पास पैसे खत्म हो गए है। खाने को तो मिलता है लेकिन पूरे दिन में केवल एक समय। किसी तरह अपनी भूख को दबा कर रखे है। आठ से दस हज़ार रूपये महिना कमाता है और अब इस समय उसके पास मैडिकल चैकअप कराने के लिए भी पैसे नही है। सरकार कह रही है कि बस से चला जाए लेकिन बस का किराया बहुत ज्यादा है। वही रेल से जाने के लिए भी फार्म भरवाया जा रहा है जिसके मुताबिक बिना मैडिकल चैकअप के रेल में सफर करने नही दिया जाएगाए इतने दिन तो किसी तरह काट लिए है अब और बर्दाश नही होता है किसी तरह अपने परिवार के पास पहुंच जाए तो फिर चाहे जैसी भी रूखी.सूखी मिलेगी खाकर गुजारा कर लेगा इसी लिए वह इस भीड़ का हिस्सा बना है। कुल मिलाकर पिछले दो दिनों में एक और भीड़ उस भीड़ का मुकाबला करने सामने आ रही है जो शराब के लिए उमड़ रही है। लेकिन शराब के शौकीनों की यह भीड़ केवल अपने मजे के लिए लग रही है जबकि मुंबई समेत गुजरातए अहमदाबदए उड़ीसाए उत्तराखंड आदि राज्यों में लगने वाली भीड़ किसी और वजह से लगी है। लेकिन एक कड़वा सच जो बताने जा रहा हूं वह यह है कि शराब के लिए लगने वाली वह भीड़ है जिसका पेट भरा है लेकिन शराब की प्यास बाकी है जबकि दूसरी ओर वह भीड़ है जिसका पेट भी खाली है और दिल में अपने परिवार से मिलने की प्यास भी बाकी है। जरा सोचिए
गले की प्यास बुझाने के लिए तो दूसरी ओर भीड़ जमा है अपने परिवार से मिलने की प्यास बुझाने के लिए
मुंबई। अपने घरों को जानें के लिए प्रवासी मज़दूर मुंबई के महालक्ष्मी इलाकें में जमा हुए। यहां पर उनका मैडिकल चैकअप किया जा रहा है लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा है कि पुलिस को उसे व्यवस्थित करने में भारी मश्क्कत करनी पड़ रही है। वही इसी तरह की भीड़ देश के दूसरे राज्यों में भी लगी है जिसे लेकिन उसके पीछे की वजह शराब है।